Holi Festival of Colors | रंगों का त्योहार होली


Holi Festival of Colors | रंगों का त्योहार होली

Holi Festival of Colors 2023 – रंगों का त्योहार होली 2023 ! दोस्तों भारत वर्ष के रंगों के त्योहार होली के बारे में, होली कब मनाई जाती है, प्रचलित कथा, होली में रंग खेलते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए ! दो दिन तक चलने वाला होली त्योहार देश के हर कोने में अपनी अपनी परंपरा के अनुसार मनाया जाता है ! इस पोस्ट में Holi Wishes Images भी आपको मिलेगी जिसे आप Download कर सकते हैं ! Holi Festival of Colors-2023 आपके जीवन में सतरंगीं खुशियां लेकर यही दुआ है हमारी !

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होली त्योहार कब मनाया जाता है

भारतवर्ष में हर वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को (बसंत ऋतु में) होली त्योहार मनाया जाता है ! यह विशेष रूप से रंगो का त्योहार है जो दो दिन तक चलता है पहले दिन की शाम को होलिका जलाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहा जाता है !
दूसरे दिन धुलंडी के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है जिसे फाग भी कहा जाता है इस दिन रंगों से होली खेली जाती है ! इस दिन सभी दोस्त, रिश्तेदार, परिवार के लोग एक दूसरे के रंग-गुलाल लगाते हैं और खुशी मनाते हैं ! इसलिए इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है !
होली के 10 से 15 दिन पहले ही नाच गाने का सिलसिला शुरू हो जाता है जिसमें कई लोग डफ (ढोलक) झांझ, मजीरे लेकर समूह बनाकर धमाल गाते हैं !


होली को रंगों से खेलने का कारण

होली का त्योहार हो और इसमें रंगों का जिक्र ना हो ये तो हो ही नहीं सकता ! होली को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है ! अलग अलग जगहों पर अलग अलग प्रकार से रंगों के इस त्योहार को मनाने की परम्परा है जैसे – बरसाने की लठमार होली, पंजाब की मोहला होली, भिनाय की कोडामार होली, उदयपुर की शाही होली आदि ! होली में रंगों का उपयोग पुराने समय से चलता आ रहा है !
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने ही रंगों को लगाने की परंपरा शुरू की थी ! श्री कृष्ण अपनी गोपीयों और ब्रज वासियों के साथ वृंदावन में सूखे रंगो से होली खेला करते थे ! ये रंगों की शुरुआत भी वही से मानी जाती है !


होली को मनाने की प्रचलित कथा

होली क्यों मनाई जाती है इसको लेकर भारत में एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है जो पुराने समय से प्रचलित है !
इस कथा के अनुसार बताया जाता है कि किसी नगर में हिरण्यकश्यप नाम का दानव या राक्षस (शैतानों का राजा) हुआ करता था ! हिरण्यकश्यप को भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि उसे कोई भी मार नहीं सकता ! उसे न तो दिन में मारा जा सकता था न ही रात में, ना बाहर मारा जा सकता था न ही अंदर, ना धरती पर मारा जा सकता था ना ही आसमान में, ना इंसान से मारा जा सकता था ना ही जानवर से, ना अस्त्र से ना शस्त्र से ! इसी को लेकर हिरण्यकश्यप अत्यधिक घमंड में आ गया और वो अपनी मनमानी करने लगा ! जनता पर अत्यधिक जुल्म ढहाने लगा ! हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानने लग गया था ! वह सबको कहता की मेरी पूजा करो और मैं ही भगवान हूँ !
हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लग गया था ! ऐसा लम्बे समय तक चलता रहा फिर उसको एक बेटा हुआ जिसका नाम प्रहलाद रखा गया था ! प्रहलाद छोटी उम्र से ही विष्णु भगवान को मानते थे और वो हर वक्त विष्णु जी की आराधना में लीन रहते थे ! हिरण्यकश्यप को जब इस बात का पता चला तो

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वो क्रोधित हुआ और प्रहलाद को विष्णु की पूजा ना करने एवं भगवान को न मानने को कहा !
हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था और उनका बेटा विष्णु भगवान की पूजा करे ये उसको बर्दाश्त नहीं हुआ ! इसी बात को लेकर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की बहुत बार कोशिश की एवं अनेक तरीके अपनाए ! प्रहलाद को ऊंचाई से भी गिराया गया, दूसरों के द्वारा भी खत्म करवाने की कोशीश की गई ! यहां तक कि प्रहलाद को जहरीले सांपों के आगे भी छोड़ दिया गया था परंतु प्रहलाद का वह बाल भी बांका नहीं कर पाया ! प्रहलाद उसी लीनता के साथ भगवान विष्णु की भक्ति में मस्त था ! हिरण्यकश्यप, प्रहलाद को मारने की हर कोशिश में नाकाम रहा !
आखिरकार हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को आग में जलाने की योजना बनाई और अपनी राक्षसी बहन होलिका को बोला कि तुम इसे लेकर आग में बैठ जाओ और प्रहलाद को जिंदा जला डालो ! होलीका, जलती आग में प्रहलाद को गोद में लेकर बैठ गई ! प्रहलाद, विष्णु भगवान की भक्ति में लीन होकर होलीका की गोद में बैठा रहा और फिर भगवान विष्णु द्वारा ऐसा चमत्कार हुआ जिसमें होलिका खुद आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ वह बच गया ! होलीका का दहन इसी कारण से किया जाता है !
हिरण्यकश्यप के बढ़ते आतंक को देख

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खुद भगवान विष्णु नृसिम्हा के अवतार में आकर राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया ! हालांकि हिरण्यकश्यप को उपर्युक्त वरदान प्राप्त था की उसे कोई भी कभी नहीं मार सकता था ! परंतु जब विष्णु भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध किया तब –
न इंसान था न ही जानवर था – नृसिम्हा एक ऐसा अवतार था जो आधा जानवर और आधा इंसान के रूप में था !
ना अस्त्र था न कोई शस्त्र था – नरसिम्हा ने अपने नाखूनों से उसको चीर डाला था !
न तो दिन था न रात थी – वो समय था सूर्य अस्त होने के ठीक बाद एवं रात होने से पहले का !
ना वह बाहर था ना अंदर था – कक्ष की दहलीज में हिरण्यकश्यप का वध किया गया था !
हिरण्यकश्यप को ना मरने का ऐसा वरदान प्राप्त होने के बावजूद भी भगवान विष्णु को उनके आतंक को खत्म करने के लिए नृसिम्हा का अवतार लेना पड़ा !
बुराई लंबे समय तक चल सकती है परंतु आखिरकार बुराई पर अच्छाई की ही जीत होती है ! यह होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी जाना जाता है ! इसी उपलक्ष्य में हर साल होली मनाई जाती है !

हमारी तरफ से अपील

जब भी आप रंगो से होली खेलें तो –
आप रसायन युक्त रंगों का प्रयोग न करें !
गीले रंगो का प्रयोग कम से कम करें !
सिर्फ सूखे रंग, गुलाल से ही होली खेलें !
जब भी किसी को रंगे या रंग लगाए तो आंख को बचाकर रंग लगाए, आपको तो पता है आंख है तो जहान है !
आजकल बाजार में ऐसे-ऐसे रंग आपको मिलेंगे जिससे चमड़ी संबंधित कोई एलर्जी हो सकती है ! आपको शारीरिक रूप से नुकसान भी हो सकता है !
हम सभी मिलकर कोशिश करें कि शांति से एवं सूखे रंग से होली खेलें !

आप सभी के जीवन में भी सतरंगी खुशियां आए ! आप भी रंगों के इस त्योहार को पूरे जोश और उल्लास के साथ अपने दोस्तों, परिवार एवं रिश्तेदारों के साथ मनाए !
आपको हमारी तरफ से रंगों के त्योहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं और जीवन में आने वाली सभी होली आपके दामन में अनेक रंग भरे एवं खुशियां लाए यही हम दुआ करते हैं !
Happy Holi Festival of Colors 2023

आपको हमारी पोस्ट होली के बारें में कैसी लगी Comment करके अवश्य बताएं !

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